Milna Mukaddar Mein Likha Nahi
.जिनका मिलना मुकद्दर में लिखा नहीं होता,
उनसे मोहब्बत कसम से बा-कमाल होती है।
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो,
ये ओर बात है कि किस्मत दगा कर गयी।
जाने किस बात की उनको शिकायत है मुझसे,
नाम तक जिनका नहीं है मेरे अफ़साने में।
.काश कि वो लौट के आयें मुझसे ये कहने,
कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले।
हम उनकी हर ख्वाहिश
पूरी करने का वादा कर बैठे,
हमें क्या पता था
हमें छोड़ना ही एक ख्वाहिश थी।
बहुत खास थे कभी
नजरों में किसी के हम भी,
मगर नजरों के तकाज़े
बदलने में देर कहाँ लगती है।
उसके चले जाने के बाद
हम मोहब्बत नहीं करते किसी से,
छोटी सी ज़िन्दगी है
किस-किस को अजमाते रहेंगे।
हम से खेलती रही दुनिया,
ताश के पत्तो की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका,
जिसने हारा उसने भी फेका।
बताओ है कि नहीं मेरे ख्वाब झूठे,
कि जब भी देखा तुझे अपने साथ देखा।
ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ,
पता नहीं रास्ता गलत है या मंजिल।
उसे रास ही न आई मेरी मोहब्बत वरना,
मैं उसे जीते जी ख़ुदा बना देता।
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