सुल्तानपुर किसान सहकारी चीनी मिल की घटा वर्ष दर वर्ष बढ़ता जा रहा है स्थापना के समय लिया गया लोन कर्ज नहीं आता कर पाने से ब्याज समेत लोन बढ़कर 150 करोड़ के करीब पहुंच गया है मिलकर हालत में पहुंचने से पेराई क्षमता भी घट गई है इसे देखते हुए अब कर्ज अदा होने के आसार कम होने लगे हैं फरवरी 1984 में स्थापित किसान सहकारी चीनी मिल की न्यू वर्ष 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उसी समय मिल की स्थापना के लिए लोन लिया गया था इसके बाद गन्ना खरीद के लिए भी लोन लिया गया था मिल का संचालन शुरू होने के बाद गन्ना खरीद के लिए भी लोन लिया गया मिल का संचालन शुरू होने के बाद लोन की तरफ अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया इसकी वजह से लोन पर ब्याज धीरे-धीरे बढ़ता गया धीरे-धीरे मिल जर्जर अवस्था मैं पहुंचने के बाद अब प्रति वर्ग उसके संचालन का भार बढ़ गया संचालन का भार सरकार की ओर से प्रतिवर्ष उठाए जाने के बाद भी मिल फायदे में नहीं पहुंच पा रही है इसके पीछे पेराई क्षमता की कमी बताई जा रही है सूत्रों के अनुसार किसान सहकारी चीनी मिल से बनने वाली चीनी भी मिल को घाटा उठाना पड़ रहा है
👉किसान सहकारी चीनी मिल की स्थापना कब हुई
घंटे से गन्ना किसानों के भुगतान का भी बहुत सरकार पर पड़ रहा है मिल के जर्जर हालत में पहुंचने की स्थापना के समय लिया गया कर्ज का भुगतान अभी तक नहीं किया जा सका है नतीजा हुआ कि ब्याज समेत लोन बढ़ाकर 150 करोड़ के करीब पहुंच गया है कर्ज बढ़ने व मिल जर्जर होने से अब मिल तकरीबन पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो चुकी है
गन्ना किसानों का अभी तक 76 लाख बकाया
करीब डेढ़ सौ करोड़ के घाटे में चल रही किसान सहकारी चीनी मिल पर अभी गन्ना किसानों का करीब 7600000 रुपए का बकाया है पिछले दिनों सरकार की ओर से करीब एक करोड़ का भुगतान किया था इसके बाद अभी भी गन्ना किसानों का बकाया रह गया है
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